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अनामिका शुक्लाः आधी हकीकत, आधा फसाना बनी धोखेबाज शिक्षिका की पूरी कहानी।

अनामिका शुक्लाः आधी हकीकत, आधा फसाना बनी धोखेबाज शिक्षिका की पूरी कहानी।

अनामिका शुक्लाः आधी हकीकत, आधा फसाना बनी धोखेबाज शिक्षिका की पूरी कहानी।

लखनऊ - अनामिक शुक्ला, बीते एक पखवाड़े मीडिया की दुनिया में चर्चित और यूपी की शिक्षा व्यवस्था के लिए सिरदर्द बना यह नाम अपने साथ कई रहस्यों को समेटे हुए है. 15 दिन पहले एक शिक्षिका की कई जिलों में तैनाती और करोड़ों कमाने वाली खबर अब रहस्य गाथा बन चुकी है।

रविवार को जांच अधिकारियों के दीदे और खुले रहे गए जब उन्हें पता चला कि यह अनामिका शुक्ला है ही नहीं, बल्कि कोई और है. क्या है इस शिक्षिका की कहानी पूरे मुद्दे पर डालते हैं एक सिलसिलेवार नजर-

रविवार को आया मामले में नया मोड़!
दरअसल 26 मई से फर्जी नियुक्ति के इस मामले चकरघिन्नी बनी हुई पुलिस और बेसिक शिक्षा विभाग ने शनिवार को कासगंज से एक युवती को गिरफ्तार किया. पूछताछ में इस युवती ने अपना प्रिया जाटव बताया है. इसके बाद मामला और उलझ गया है।

अब पुलिस यह पता लगा रही है कि वास्तविक अनामिका शुक्ला कौन है जिसके दस्तावेज पर यह युवती प्रिया जाटव शिक्षिका बनकर नियुक्तियां ले रही थीं. इस पूरे प्रकरण की शुरुआत टीचर्स के डेटाबेस से होती है, जिसमें गड़बड़ी सामने आने के बाद धोखाधड़ी का सिरा यहां तक पहुंचा है।


ऐसे सामने आया मामला!
उत्तर प्रदेश में बीते मई में टीचर्स का डेटाबेस रिकॉर्ड खंगाला जा रहा था. इस दौरान एक नाम अनामिका शुक्ला 25 जिलों के अलग-अलग कस्तूरबा स्कूलों में  दिखाई दे रहा था. नाम एक होना कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन दस्तावेज भी एक जैसे और भी काफी कुछ मिल रहा था. यानी कि कुछ तो गड़बड़ थी. पुराने और रिकॉर्ड देखे गए तो धोखाधड़ी की एक तस्वीर साफ हो गई।

13 महीने में 1 करोड़ से अधिक की सैलरी!
सामने आया कि अनामिका शुक्ला नाम की एक विज्ञान शिक्षिका कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की विज्ञान शिक्षिका एक साथ 25 स्कूलों में 'पढ़ाती' है. शिक्षिकों को 30,000 रुपये वेतन दिया जाता है. इस तरह 'मैडम जी' 13  महीनों से इन सभी जगहों से एक करोड़ से अधिक की सैलरी उठा चुका थीं. शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया और सुर्खियां बाहर आ गईं।

मैनपुरी की है संदिग्ध टीचर!
शुरुआती जांच में सामने आया कि संदिग्ध टीचर मैनपुरी से हैं और बीते एक साल से अधिक समय से स्कूलों में नियुक्त है. स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद के मुताबिक उन्होंने इस तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद इसके जांच के आदेश दिए थे. विभागीय तौर पर यह शिकायत मार्च में ही मिली थी. इसकी जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण इसमें रुकावट आई थी. 26 मई को दोबारा रिमांइडर भेजा गया था।

12 दिन में खुला काला चिट्ठा।
26 मई से जांच ने तेजी पकड़ी और एक-एक करके धोखाधड़ी की सारी परतें खुलतीं चली गईं. राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उप्र लखनऊ की ओर से इस विषय में एक पत्र जारी किया गया था. इसमें कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय फरीदपुर में शिक्षिका (विज्ञान) अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाष चन्द्र शुक्ला के प्रमाणपत्रों की जांच करने को कहा गया था।

शनिवार को हुई गिरफ्तार।
जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) अलीगढ़ को दिए गए. ये भी आदेश दिया गया कि शिकायत सही मिलने पर वेतन की रिकवरी कराते हुए मुकदमा दर्ज कराया जाए. एडी बेसिक के निर्देश पर 4 जून को अध्यापिका को नोटिस जारी किया गया था. 4 जून को शिक्षिका को नोटिस जारी किया गया और फिर शनिवार को वह इस्तीफे के साथ BSA दफ्तर पहुंची. इसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।

प्रिया, सुप्रिया, अनामिका और न जाने कितने नाम!
पूछताछ के दौरान युवती बराबर अपना नाम बदलती रही. BSA के सामने उसने खुद को अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाष चंद्र शुक्ला बताया. यह भी कहा कि नियुक्ति पूरी तरह ठीक है. पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह अनामिका सिंह बन गई।

सख्ती दिखाने पर वह प्रिया सिंह पुत्री महीपाल सिंह बन गई और खुद को निवासी लखनपुर कायमगंज का बताया. विभागीय रिकॉर्ड में उसका नाम  अनामिका शुक्ला पुत्री सुभाष चंद्र शुक्ला निवासी लखनपुर जिला फर्रुखाबाद दर्ज है. कायमगंज के एक गांव के लोगों ने फोटो देखकर उसे अपने गांव की सुप्रिया बताया है।

ऐसे मिली थी नौकरी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कथित अनामिका शुक्ला (प्रिया जाटव) को मूल दस्तावेज देखे बिना ही नियुक्ति दे गई थी. इसी दस्तावेज के आधार पर अनामिका अमेठी, अंबेडकरनगर, रायबरेली, प्रयागराज, अलीगढ़ और अन्य जिलों में एक शिक्षिका के रूप में पंजीकृत थी।

जानकारी के मुताबिक अनामिका शुक्ला के मूल दस्तावेजों पर कुछ धुंधली तस्वीर थी. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में संविदा पर लगने वाली नौकरी में दस्तावेज की जांच नहीं होती है. साक्षात्कार के दौरान ही असली दस्तावेज देखे जाते हैं।

एक लाख में हुआ था नौकरी का सौदा।
जानकारी के मुताबिक. पूछताछ में अनामिका ने बताया है कि वह गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी कर रही थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात मैनपुरी के रहने वाले एक शख्स राज से हुई. उसने ही उसे नौकरी की सलाह दी और एक लाख रुपये में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वायदा किया. आरोप है कि राज ने ही अगस्त 2018 में इसे नियुक्ति पत्र भी दिला दिया था।

कई धाराओं में दर्ज हुआ मामला।
कोतवाली सोरों पुलिस ने BSA अंजलि अग्रवाल की तहरीर पर अनामिका के खिलाफ धोखाधड़ी एवं नकली अभिलेख तैयार करने के मामले में धारा 420, 467 एवं 468 में मुकदमा दर्ज किया है. रायबरेली में BSA आनंद प्रकाश शर्मा ने बछरांवा थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है।

बनारस के सेवापुरी ब्‍लाक के कस्‍तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में भी अनामिका की नियुक्ति हुई थी, लेकिन उसने कार्यभार ग्रहण नहीं किया था. यहां भी उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया जाएगा. सहारनपुर व अमेठी में भी एक-एक मामला दर्ज है. समग्र तौर पर इस मामले में अनामिका\प्रिया के खिलाफ दर्जन भर मामले दर्ज हैं।

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