आई पी एस संजीव भट्ट की पत्नी ने फिर लगाई न्याय की गुहार, 30 साल पुराने मामले में मिली थी उम्र कैद की सज़ा !
फाइल फोटो - संजीव भट्ट |
आई पी एस संजीव भट्ट की पत्नी ने फिर लगाई न्याय की गुहार, 30 साल पुराने मामले में मिली थी उम्र कैद की सज़ा !
IPS संजीव भट्ट की पत्नी ने ट्वीट करके फिर एक बार अपने पति संजीव भट्ट के लिए न्याय की गुहार की है।इससे पहले भी श्वेता संजीव भट्ट लगातार संजीव भट्ट के ट्विटर हैंडल से लोगों से जुड़कर सपोर्ट मांगती रही हैं।
This is Shweta Sanjiv Bhatt,
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) June 7, 2020
Extremely sorry for not having posted any update in the past few months.
Today it has been 21 months and 2 days since Sanjiv was taken away from home, in the wee... https://t.co/c1IB9eN72w#Enoughisenough #FreeSanjivBhatt #JusticeForSanjivBhatt
IIT Mumbai के छात्र रहे संजीव भट्ट ने साल 1988 में गुजरात काडर से आईपीएस ज्वाइन किया थ!
उन्हें साल 2011 में बिना इजाज़त नौकरी से ग़ैरहाज़िर रहने और सरकारी गाड़ी के कथित दुरुपयोग के मामले में नौकरी से सस्पेंड किया गया था और फिर 2015 में नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया गया!
अपनी बर्ख़ास्तगी पर 19 अगस्त 2015 को संजीव भट्ट ने एक ट्वीट में कहा था, "आखिरकार मुझे 27 साल आईपीएस की सर्विस के बाद नौकरी से हटा दिया गया. मैं फिर नौकरी के लिए तैयार हूँ. क्या कोई लेने वाला है?"
संजीव भट्ट उस वक्त सुर्खियों में आए जब 2002 गुजरात दंगे में उन्होंने उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की कथित भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाए!
संजीव भट्ट सितंबर 2018 से एक कथित ड्रग प्लांटिंग मामले में जेल में हैं. संजीव भट्ट का कहना है कि उन्हें इस झूठे मुकदमे में फंसाया गया है!
Sanjiv was detained and arrested on the 5th of September 2018 in a 22 year old case. The doorbell rang at around 8 am. On being informed about the two police officers at our doorstep, Sanjiv told our helper “Police... https://t.co/797yVkQNpU
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) September 9, 2018
https://twitter.com/sanjivbhatt/status/1038674829342375936?s=19
फिलहाल संजीव भट्ट को जिस मामले में उम्र कैद की सज़ा हुई है वो 1990 का मामला है!
उस वक्त संजीव भट्ट जामनगर में एएसपी यानी असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस के पद पर थे!
मामला प्रभुदास माधवजी वैशनानी सहित 133 लोगों को टाडा कानून के अंतर्गत हिरासत में लेने का है. बाद में इसे आरोपियों पर से वापस ले लिया गया था!
टाडा क़ानून के प्रावधान बेहद सख़्त थे. आलोचक मानते थे कि इससे मानवाधिकारों का हनन हुआ!
1990 वो वक़्त था जब बिहार में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथयात्रा को रोका गया और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था!
गिरफ़्तारी के बाद भारत बंद की कॉल दी गई थी और कई जगह दंगे भड़क उठे थे. कई जगह दंगाइयों ने आगज़नी भी की थी!
अपने 400 से ज़्यादा पन्ने के फ़ैसले में अदालत ने सभी सातों अभियुक्तों को दोषी करार दिया. अदालत ने संजीव भट्ट सहित दो लोगों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी!
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