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PM केयर्स फंड को RTI के दायरे में लाने की याचिका पर PMO ने जताया ऐतराज।

PM केयर्स फंड को RTI के दायरे में लाने की याचिका पर PMO ने जताया ऐतराज।

PM केयर्स फंड को RTI के दायरे में लाने की याचिका पर PMO ने जताया ऐतराज ।


प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) को सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में घोषित करने की मांग करने वाली एक याचिका पर आपत्ति जताई !

मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई. जस्टिस नवीन चावला (Justice Navin Chawla) की कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान PMO की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने पैरवी की और कोर्ट से कहा कि वह इस संबंध में विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे कि याचिका पर विचार क्यों नहीं होना चाहिए।

हाईकोर्ट मामले पर अगली सुनवाई 28 अगस्त को करेगी!

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (CPIO) और PMO के एक आदेश को चुनौती दी गई थी, याचिकाकर्ता के मुताबिक PMO और CPIO ने PM केयर फंड के संबंध में यह कहते हुए मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया था कि PM केयर्स फंड RTI के दायरे में आने वाला सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।

जिसके खिलाफ याचिका दाखिल कर CPIO के आदेश को अलग करने और RTI आवेदन में उनके द्वारा मांगे गए दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की मांग की गई. याचिका में कहा गया कि 28 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने और उसके प्रसार पर रोक लगाने के लिए PM केयर्स फंड की स्थापना की जानकारी दी थी।

PMO की तरफ से लोगों से अपील की गई थी कि वह कोरोना महामारी से लड़ाई में सरकार का साथ दें और मौद्रिक सहयोग करें, सहयोग करने वालों की दान की गई राशि पर टैक्स में छूट देने के लिए भी कहा गया था।

1 मई को याचिकाकर्ता ने एक RTI के तहत PM केयर्स फंड के संबंध में जानकारी और दस्तावेज मांगे लेकिन 2 जून को CPIO और PMO ने PM केयर्स फंड सूचना के अधिकार के तहत कोई सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं होने का हवाला देकर जानकारी देने से मना कर दिया है।

हालांकि इसी दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आई PM केयर्स फंड से संबंधित एक अन्य याचिका को पीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में RTI आवेदन को तरजीह दिए बिना दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।




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