Lockdown में सम्पन्न हुआ ऑनलाइन कवि सम्मेलन, Lockdown की गरिमा बनाये रखने का इससे अच्छा उदाहरण और क्या होगा?
Lockdown में सम्पन्न हुआ ऑनलाइन कवि सम्मेलन : श्रोताओं ने खूब सराहा। राजकीय पॉलीटेक्निक लखनऊ के छात्रों ने दिया समर्थन !
लखनऊ - प्राचीन काल से ही मनोरंजन के क्षेत्र में भारत अग्रणी रहा है फिर चाहे बात रंग मंच की हो, नुक्कड़ नाटक की हो या फिर बॉलीवुड की हो।इन सबमे जो सबसे रोचक और मनोरंजक श्रेणी है वो है कवि सम्मेलन। कवि सम्मेलन की खास बात ये है कि यह हर किसी को अपना बना लेता है चाहे वो छोटा हो, बड़ा हो या किसी भी उम्र का हो। जिसको कवि सम्मेलन की भाषा की समझ हो वो उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेता है। कम शब्दों में बडी बात कहना ही कवियों की खास पहचान है। और इन कवियों को पहचान देता है कवि सम्मेलन!
इसी कड़ी में इस कोरोना काल मे ऑनलाइन कवि सम्मेलन सम्पन्न कराया गया। Lockdown की गरिमा बनाये रखने का इससे अच्छा उदाहरण और क्या होगा?
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए वरिष्ठ कवि महादेव मिश्र 'बमबम'जी ने पढा "नाम रोशन करें अपने घर गाँव का,देश की शान दस दिशि बढ़ाते रहें" प्रसिद्ध हास्यकवि संदीप सरारती ने पढा "किसी की कुंडली में राहु केतु शनि बैठे हमारे कुण्डली मे बैठे है प्रधान जी" संयोजक सौरभ ओझा ने पढा " तुम हमे हम तुम्हें याद आते रहेंगे,गीत मे गढ हम तुम्हे गुनगुनाते रहेगें और मै मजबूत नहीं मजदूर हू" ओजकवि अंजनी अमोघ जी ने मजदूरों पर पढा "मेरा दर्द सुनो मैं बोल रहा भारत का भाग्यनिर्माता हूँ,खुले आसमान के नीचे का पूरा इतिहास बतलाता हूँ" बिहार से जुड़े मनीष मोहक ने पढा "न मुझको कभी ग़म अता कीजिएगा,क़सम है ख़ुदा की वफ़ा कीजिएगा" कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ कवि व पत्रकार अनूप त्रिपाठी ने पढा "राम समझ रहमान समझ ले धर्म समझ ईमान समझ ले,मंदिर कैसा मस्जिद कैसी ईश्वर का सब स्थान समझ ले" संरक्षक सुरेंद्र तिवारी सागर जी रहे, कार्यक्रम को राजकीय पालीटेक्निक लखनऊ के छात्रों द्वारा बहुत समर्थन मिला। विशेष आभार प्रधान अशोक सिंह जी ने व्यक्त किया समापन उदबोधन शशांक शुक्ला ने दिया, कार्यक्रम का अनूप प्रतापगढी, आशुतोष आशू, प्रेम मिश्रा(पत्रकार), बीरू मिश्रा, अनूप सिंह, निश्चितकुमार, विवेक, गौरव, राहुल, सत्यम आदि ने भरपूर आनंद लिया।
इसमे महत्वपूर्ण योगदान दिया राजकीय पॉलीटेक्निक लखनऊ के छात्रों ने। उन्होंने अपना भरपूर समर्थन दिया।
आशा है भविष्य में भी ऐसे सम्मेलन होते रहेंगे जो भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाते रहेंगे।
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